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CRIME NEWS: थार के रेत में मोहब्बत की सबसे दर्दनाक दास्तां: सरहद पार करते दो जोड़े बच गए, एक जोड़ा प्यास से हार गया

तारों के नीचे मोहब्बत (Love) का सफर (Journey) शुरू हुआ था। नफरत की बुनियाद पर खींची गई सरहद (Border) को दो परवाने प्यार (Love) की रोशनी में पार करना चाहते थे।रेत (Sand), टीले (Dunes), अंधेरा (Darkness) और ऊपर चौदहवीं का चांद (Moon)। पाकिस्तान के थारपकर जिले से भारत तक का रास्ता लंबा (Long) और खतरनाक (Dangerous) था, लेकिन प्यार में डूबे टोटो और मीना को न थकान (Tiredness) दिखी, न खतरा (Risk)। उनके समाज की रवायतें (Tradition) उन्हें एक नहीं होने देती थीं, इसलिए सरहद पार करना ही रास्ता था।

पहला सफर: टोटो और मीना का भारत पहुँचना

थारपकर के लासरी गांव में भील समुदाय (Community) की परंपरा है कि एक ही बिरादरी में शादी (Marriage) नहीं हो सकती। इसी नियम ने टोटो और मीना को बाग़ी (Rebel) बना दिया।उन्होंने योजना (Plan) बनाई कि मेरिडो डुंगर पहाड़ी (Hill) को पार कर रतनापर गांव—भारतीय सीमा (Indian Border) के भीतर बसे पहले इलाक़े—तक पहुँचना है।4 अक्टूबर की रात दोनों निकले और तीन दिन में 50 किलोमीटर का रेगिस्तानी सफर तय कर 7 अक्टूबर को भारत में दाखिल (Entry) हो गए।रतनापर के ग्रामीणों (Villagers) ने खाना (Food), चारपाई (Cot) और रात भर का आसरा (Shelter) दिया।लेकिन सुबह होते ही कच्छ पुलिस (Police) और सेंट्रल एजेंसियों (Agencies) ने उन्हें पकड़ लिया। दोनों ने बस एक ही बात कही—हम प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं।

दूसरा सफर: पोपट और गौरी की वही कहानी

डेढ़ महीने बाद, वही रास्ता, वही पहाड़ी, वही मोहब्बत—लेकिन नाम बदला।मुगरिया गांव के पोपट और गौरी भी भील समुदाय की पाबंदियों के कारण एक नहीं हो पाए।जब वे भारत की सीमा में दाखिल हुए, BSF ने उन्हें पकड़ लिया।इनके पास भी न वीज़ा (Visa) था, न दस्तावेज़ (Documents)।पूछताछ (Interrogation) में फिर वही कहानी निकली—उन्होंने प्यार के लिए सरहद पार की।

तीसरी और सबसे दर्दनाक कहानी: रवि और शांति की मौत

लेकिन किस्मत (Fate) हर बार मेहरबान नहीं होती।28 जून को राजस्थान के जैसलमेर जिले में साधेवाला इलाके में एक चरवाहे (Shepherd) को दो लाशें (Bodies) मिलीं—एक युवक रवि और एक युवती शांति की।जिस्म काला पड़ चुका था, और पास पड़ा था 5 लीटर का खाली जरिकन (Empty Can)।

जांच (Investigation) में पता चला कि दोनों पाकिस्तान के सिंध के घोटकी जिले के रहने वाले थे।दोनों की शादी फरवरी में परिवार की रज़ामंदी से हुई थी।शांति की इच्छा (Wish) थी कि वह शादी के बाद भारत के जैसलमेर में अपने रिश्तेदारों (Relatives) से मिले।रवि ने वीज़ा के लिए आवेदन (Application) भी किया था, लेकिन तभी पहलगाम में टूरिस्टों पर हमला (Attack) हुआ और भारत ने 'ऑपरेशनसिंदूर' (Operation) के तहत पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रोक दिए।

रवि ने वादा (Promise) किया था, इसलिए उसने गैरकानूनी रास्ता (Illegal Route) चुना।21 जून को वे नूरपुरी दरगाह में मन्नत (Vow) मांगकर रेगिस्तान की ओर निकले।बाइक (Motorcycle) रेत में नहीं चल सकी, इसलिए छोड़ दी।दो 5 लीटर पानी के कनस्तर (Water Can) लेकर पैदल चले, लेकिन थार रेगिस्तान का नक्शा (Landscape) हर पल बदलता है।
वे रास्ता भटक गए।

जून की भीषण गर्मी (Heat), 50 डिग्री तापमान (Temperature), चारों तरफ धधकती रेत—और पानी खत्म।मंज़िल बस थोड़ी दूर थी, लेकिन मौत (Death) पहले आ गई।दोनों प्यास से मर गए।खाली पड़ा जरिकन इस त्रासदी (Tragedy) की सबसे खौफनाक गवाही (Testimony) दे रहा था।

जैसलमेर पुलिस ने पाकिस्तानी परिवार से संपर्क (Contact) कर पहचान (Identification) कराई, और 1 जुलाई को राजस्थान के भील क्षेत्र में दोनों का अंतिम संस्कार (Cremation) हुआ।

 

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