Gopal Khemka murder case: जेल तक गोपाल खेमका हत्याकांड की गूंज , बेउर जेल में छापेमारी से उजागर हुई साजिश की कड़ी
पटना— राजधानी के चर्चित व्यवसायी गोपाल खेमका हत्याकांड (Gopal Khemka murder case) की गूंज अब जेल की चारदीवारी तक पहुंच चुकी है। हत्या (murder) की साजिश जेल से रची गई थी, इस संदेह के आधार पर पुलिस-प्रशासन ने आदर्श केंद्रीय कारा बेउर में रविवार को उच्चस्तरीय छापेमारी (Raid in Beur jail) की। इस कार्रवाई ने जेल की सुरक्षा और अनुशासन पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
जेल में मिले तीन मोबाइल, 100 से अधिक कैदियों से पूछताछ
बेउर जेल (Beur Jail) में छापेमारी का नेतृत्व पटना (Patna) जोन के आईजी जितेंद्र राणा और कमिश्नर डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने किया। भारी पुलिस बल के साथ हुई छापेमारी में तीन मोबाइल फोन बरामद किए गए। इसके बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया।
छापेमारी के दौरान 100 से अधिक कैदियों से पूछताछ की गई। हालांकि अधिकारियों ने इस बारे में अधिक जानकारी देने से इनकार किया, यह कहते हुए कि इससे जांच प्रभावित हो सकती है।
जेलकर्मियों पर गिरी गाज
जेल से मोबाइल मिलने की घटना के बाद प्रशासन ने कड़ा एक्शन लिया:
तीन कक्षपाल — अंतोष कुमार सिंह, आशीष कुमार और ओमप्रकाश को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
डिप्टी सुपरिंटेंडेंट अजय कुमार, असिस्टेंट सुपरीटेंडेंट नीरज कुमार रजक, और दफ़ा इंचार्ज गिरीश यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
बेउर जेल अधीक्षक नीरज कुमार झा ने इसकी पुष्टि की है और कहा है कि दोषी पाए जाने वालों पर कठोर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
आईजी ने खुद साथ ले गए मोबाइल, कॉल डिटेल से होगी जांच
बरामद मोबाइल फोन की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) खंगाली जा रही है। अधिकारियों को संदेह है कि खेमका हत्याकांड की साजिश जेल के भीतर से रची गई थी और इन मोबाइल से बाहरी अपराधियों से संपर्क किया गया।
बढ़ती अनुशासनहीनता से जेल प्रशासन पर सवाल
लगातार जेलों में मोबाइल फोन की बरामदगी और अनुशासनहीनता की घटनाओं ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली और निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बेउर जेल पहले भी इस तरह के मामलों को लेकर विवादों में रहा है।
आगे की जांच में और खुलासों की संभावना
जांच एजेंसियां अब मोबाइल की डिजिटल फोरेंसिक रिपोर्ट और कॉल डिटेल्स के जरिए यह जानने की कोशिश कर रही हैं कि:
क्या हत्या की साजिश जेल से रची गई?
किन कैदियों या जेलकर्मियों की भूमिका संदिग्ध है?
मोबाइल किसके इस्तेमाल में थे?
गोपाल खेमका हत्याकांड में यह छापेमारी एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है। आने वाले दिनों में पुलिस और प्रशासन की ओर से और बड़े खुलासों की उम्मीद की जा रही है।

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