Mathura Idgah dispute : हिंदू पक्ष को झटका...शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की
मथुरा/प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) और शाही ईदगाह विवाद (Shahi Idgah controversy) मामले में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad high court) से हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें मथुरा (Mathura) स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की गई थी।
यह याचिका हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल की गई थी जिसमें कहा गया था कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण मुगल शासक औरंगजेब द्वारा 1670 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बने प्राचीन मंदिर को तोड़कर किया गया था। याचिका में यह भी अनुरोध किया गया था कि जिस प्रकार अयोध्या मामले में बाबरी ढांचे को विवादित माना गया था उसी तरह इस मस्जिद को भी विवादित घोषित किया जाए।
हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ (जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा) ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वर्तमान में उपलब्ध तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस स्तर पर मस्जिद की वैधता पर संदेह करने का कोई उचित आधार नहीं है।
बहस और पिछली कार्यवाही
हिंदू पक्ष की ओर से यह याचिका 5 मार्च 2025 को दाखिल की गई थी जिस पर 23 मई को बहस पूरी हो गई थी। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे आज सुनाया गया। हिंदू पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने दलील दी कि अब तक ईदगाह मस्जिद की वैधता के स्पष्ट प्रमाण मुस्लिम पक्ष द्वारा प्रस्तुत नहीं किए गए हैं।
पूरा विवाद क्या है?
मामला मथुरा के कटरा केशव देव क्षेत्र की 13.37 एकड़ भूमि से जुड़ा है। इसमें से लगभग 11 एकड़ भूमि पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर है जबकि शेष भूमि पर शाही ईदगाह मस्जिद स्थित है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह पूरी भूमि भगवान कृष्ण की जन्मभूमि है और 17वीं सदी में वहां बना प्राचीन मंदिर औरंगजेब के आदेश पर गिराया गया था। दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष इस दावे को सिरे से नकारता आया है।
अगली सुनवाई की तारीख:
कोर्ट ने अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त 2025 को निर्धारित की है। आने वाले समय में इस मामले में अन्य याचिकाओं और तथ्यों पर भी सुनवाई की संभावना है।
बयान:
हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने कोर्ट के फैसले को निराशाजनक बताते हुए कहा कि वे इस आदेश को चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने ठोस ऐतिहासिक तथ्यों और संविधानिक आधारों पर याचिका दायर की थी। हमें उम्मीद थी कि कोर्ट कम से कम इस स्थल की जांच के आदेश देगा।

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